थप्पड़ और प्यास की तड़प ने कक्षा नर्सरी के बच्चे की ले ली जान

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PPN NEWS
रिपोर्ट, ज़मन अब्बास
कब सुधरेगा स्कूलों का संवेदनहीन सिस्टम?
प्रयागराज (नैनी)। तीन साल छह महीने का मासूम शिवाय स्कूल तो गया था पढ़ने और खेलने के लिए, मगर लौटकर आया मृत शरीर बनकर – वो भी अपनी मां की गोद में, खून से सना हुआ। प्रयागराज के नैनी थाना क्षेत्र स्थित दीन दयाल पब्लिक स्कूल में गुरुवार को हुई यह हृदयविदारक घटना पूरे शहर को झकझोर गई है।
परिजनों के मुताबिक, स्कूल की दो शिक्षिकाओं की बेरहमी के चलते मासूम शिवाय की जान चली गई। एक थप्पड़, एक टकराव, और फिर प्यास से तड़पते हुए मासूम ने दम तोड़ दिया। ये कोई सामान्य मौत नहीं थी – ये स्कूल सिस्टम की संवेदनहीनता और लापरवाही से हुई एक दर्दनाक हत्या थी, जिसने मां-बाप के साथ पूरे समाज की आंखें नम कर दीं।
प्राप्त जानकारी अनुसार गुरुवार सुबह मां पूनम अपने बेटे शिवाय को रोज की तरह स्कूल छोड़ने गईं। शिवाय रो रहा था, जैसा वो रोज करता था। मां ने कुछ देर रुककर उसे शांत कराया और फिर चली गईं। मगर किसी को क्या पता था कि ये उसकी मां की आखिरी मुलाकात होगी।
करीब 9 बजे पिता वीरेंद्र के पास स्कूल से कॉल आया – "आपका बच्चा बेहोश हो गया है, जल्दी आइए।" घबराए माता-पिता जब स्कूल पहुंचे तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। बेटा जमीन पर पड़ा था, उसके मुंह और नाक से खून बह रहा था। सिर के बाईं ओर चोट थी। जब तक वे बच्चे को सीएचसी और फिर एसआरएन अस्पताल लेकर भागते, रास्ते में ही शिवाय की मौत हो चुकी थी।
भाई की आंखों देखी गवाही – "भाई रो रहा था, टीचर ने थप्पड़ मारा"
शिवाय के बड़े भाई सुमित, जो सेकेंड क्लास में पढ़ते हैं, पूरी घटना के प्रत्यक्षदर्शी हैं। उन्होंने बताया – "दो टीचर शिवाय को मेरे क्लास में लेकर आईं। वह बहुत रो रहा था। आरती मैडम ने पहले उसे डांटा, फिर उसके गाल पर जोर से थप्पड़ मारा। उसका सिर बेंच से टकराया और वह जमीन पर गिर पड़ा। वह पानी मांगता रहा। 10 मिनट तक तड़पता रहा, मगर किसी ने पानी तक नहीं दिया। फिर वह शांत हो गया।"
मां पूनम का दर्द शब्दों में नहीं समा सकता। उन्होंने बताया – "जब मैं नहीं होती थी तो टीचर शिवाय को उसके भाई सुमित के पास भेज देती थीं। गुरुवार को भी ऐसा ही हुआ। मेरा बेटा रो रहा था। टीचर शिवांगी ने उसे चुप कराने की कोशिश की, फिर आरती आईं और थप्पड़ मार दिया। वह गिर गया। वह पानी मांगता रहा, लेकिन किसी ने नहीं दिया। मेरा बेटा प्यासा मर गया।"
जब शव पोस्टमॉर्टम के लिए ले जाया जा रहा था, तब मां ने बच्चे को सीने से चिपका लिया। चीख-चीख कर बोलीं – "मैंने सुबह दूध पिलाया था, कलर बॉक्स रखा था, लंच बॉक्स भी। क्या पता था कि वह स्कूल से लौटेगा ही नहीं।"
मौत के बाद स्कूल पर ताला, स्टाफ फरार – केस दर्ज
घटना के बाद पूरे स्कूल में ताला जड़ दिया गया है। पूरा स्टाफ फरार है। पिता वीरेंद्र की तहरीर पर टीचर्स आरती और शिवांगी के खिलाफ एग्रीकल्चर चौकी में मुकदमा दर्ज हुआ है। पुलिस ने बच्चे का पोस्टमॉर्टम कराया, दो डॉक्टरों के पैनल ने जांच की। बिसरा सुरक्षित रखा गया है। फिलहाल मौत की सटीक वजह रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट होगी।
स्कूल प्रबंधक कृष्ण मोहन गुप्ता ने कहा – "परिजन झूठे आरोप लगा रहे हैं। बच्चा हमेशा रोता रहता था। गुरुवार को वह अपने भाई से खींचातानी कर रहा था और बेंच से गिर गया। उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई।"
गौर करने वाली बात ये है कि गुप्ता खुद इलाज के लिए दिल्ली में हैं और घटना के वक्त स्कूल में मौजूद नहीं थे।
समाज के सामने सवाल – कब जागेगा सिस्टम?*
1. क्या एक रोते बच्चे को थप्पड़ मारना शिक्षक की ड्यूटी का हिस्सा है?
2. जब बच्चा पानी मांग रहा था, क्या इंसानियत इतनी मर चुकी थी कि कोई पानी भी न दे?
3. क्या हर निजी स्कूल में आपात स्थिति से निपटने के लिए कोई मेडिकल सुविधा नहीं है?
4. क्या दोषियों को वाकई सजा मिलेगी या मामला रफा-दफा हो जाएगा?
शिवाय की मौत अकेले एक मासूम की मौत नहीं है – यह पूरे शिक्षा तंत्र पर एक करारा तमाचा है। अगर अब भी सिस्टम नहीं जागा, अगर संवेदनहीनता पर लगाम नहीं लगी, तो कल को कोई और मां अपने लाल को सुबह छोड़कर आएगी और शाम को लाश पाएगी।
शिवाय की मौत ने सवाल छोड़े हैं, जवाब नहीं। क्या कोई है जो जवाब देगा?
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