मानव सेवा ही मनुष्य का परम कर्तव्य,धर्म परायण व्यक्ति ही हो सकता है भवसिन्धु से पार,---मनीष शरण दास

प्रतापगढ़
18.02.2021
रिपोर्ट--मो.हसनैन हाशमी
मानव सेवा ही मनुष्य का परम कर्तव्य,धर्मपरायण व्यक्ति ही हो सकता है भवसिंधु से पार---मनीष शरण दास
मानव सेवा ही मनुष्य के जीवन का सर्वप्रथम कर्तव्य है तथा धर्म व्यक्ति का सबसे बड़ा आभूषण है। धर्म परायण व्यक्ति ही भव सिंधु से पार हो सकता है यह बातें ग्रामसभा झींगुर कोटवा में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में अयोध्या से पधारे हुए संत भागवत वक्ता स्वामी श्री मनीष शरण दास जी महाराज ने कहीं महाराज जी ने बताया कि जीवन बहुत ही अनमोल होता है और इस जीवन में व्यक्ति सांसारिक कष्टों से छुटकारा पाने के लिए अनेक प्रयत्न करता है किंतु उसे इस कष्ट से छुटकारा केवल श्रीमद् भागवत कथा श्रवण करने से ही हो सकता है । कार्यक्रम के शुभारंभ पर आचार्य पांडे जी महाराज ने विधिवत पूजन अर्चन कराया। मुख्य आयोजन कर्ता पूर्व प्रधान श्री बृज किशोर मिश्र(मुन्ना)और समस्त ग्राम वासियों के सहयोग से चल रही श्रीमद्भागवत कथा का आज दूसरा दिन था इस दौरान कथा स्थल पर अपार संख्या में लोगों ने पहुंचकर कथा का श्रवण किया इस मौके पर त्रिभुवन तिवारी,भूपति लाल पांडेय,लालजी तिवारी,मनीष,कौशलेंद्र मणि, इंद्र नारायण,मोहित,प्रिंसू, सिंटू,सुनील सहित अनेक भक्त पंडाल में मौजूद रहे।
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