KGMU के डॉ फिर बने धरती के भगवान। गर्दन के रास्ते दिमाग में घुसी 8 सेंटीमीटर की कील,

KGMU के डॉ फिर बने धरती के भगवान। गर्दन के रास्ते दिमाग में घुसी 8 सेंटीमीटर की कील,

PPN NEWS

रिपोर्ट, सफी अहमद

लखनऊ: गर्दन के रास्ते दिमाग में घुसी 8 सेंटीमीटर की कील, ट्रॉमा सर्जरी टीम ने 10 घंटे में निकाली, बच्चा बचा

बलरामपुर के नवाजपुर का 7 साल का मासूम चमत्कारिक रूप से है सुरक्षित, डॉक्टरों की टीम ने रचा जीवन रक्षक इतिहास।

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित KGMU ट्रॉमा सेंटर की ट्रॉमा सर्जरी टीम ने ऐसा जटिल ऑपरेशन कर दिखाया है, जिसे मेडिकल साइंस की किताबों में मिसाल के तौर पर दर्ज किया जा सकता है।

यह दर्दनाक घटना तब हुई जब मासूम बच्चा खेलते-खेलते अचानक गिर पड़ा और वहां रखी एक लोहे की कील उसकी गर्दन में जा घुसी। कील की गहराई इतनी अधिक थी कि वह गर्दन की नसों और ऊतकों को चीरते हुए सीधे मस्तिष्क के बेहद संवेदनशील हिस्से तक पहुंच गई। परिजन बच्चे को लेकर पहले नजदीकी अस्पताल पहुंचे, लेकिन स्थिति की गंभीरता को भांपते हुए उसे तत्काल KGMU लखनऊ रेफर कर दिया गया।


KGMU ट्रॉमा सेंटर में जैसे ही बच्चे की MRI और CT स्कैन रिपोर्ट आई, डॉक्टर समझ गए कि यह एक बेहद जोखिम भरा मामला है. न्यूरो सर्जरी, ENT, एनेस्थीसिया, ट्रॉमा और पीडियाट्रिक्स विभागों के विशेषज्ञों की एक संयुक्त टीम गठित की गई. ऑपरेशन की प्लानिंग बारीकी से की गई और 10 घंटे तक चली इस सर्जरी में एक-एक मिलीमीटर की सावधानी बरती गई।


माइक्रो-सर्जरी और न्यूरो नेविगेशन से निकाली गई कील

डॉक्टरों के मुताबिक, कील मस्तिष्क के उस हिस्से तक पहुंच गई थी जहां थोड़ी सी भी गलती जानलेवा हो सकती थी. इसलिए माइक्रो-सर्जिकल तकनीक और न्यूरो नेविगेशन सिस्टम की मदद ली गई। ऑपरेशन के दौरान खून की मुख्य नस को नुकसान पहुंचाए बिना कील को धीरे-धीरे बाहर निकाला गया।

ऑपरेशन के बाद बच्चे को आईसीयू में रखा गया, जहां डॉक्टरों की सतत निगरानी में उसकी स्थिति में लगातार सुधार हो रहा है। डॉक्टरों ने पुष्टि की है कि बच्चा अब खतरे से बाहर है और जल्द ही सामान्य जीवन जी सकेगा।

मेडिकल साइंस में होगा केस दर्ज

KGMU के चिकित्सा अधीक्षक ने बताया कि यह मामला मेडिकल साइंस के लिए एक महत्वपूर्ण केस स्टडी बनेगा। जल्द ही इस सर्जरी की विस्तृत रिपोर्ट किसी अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल में प्रकाशित की जाएगी, ताकि दुनिया भर के डॉक्टरों को इससे सीख मिल सके।

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