लोगों को नेत्रदान करने में RLB के वरिष्ठ डॉक्टर केपी सिंह का बड़ा ही योगदान
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- Updated: 3 September, 2025 14:15
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PPN NEWS
लखनऊ।
रिपोर्ट, अमित श्रीवास्तव।
रानी लक्ष्मीबाई संयुक्त चिकित्सालय राजाजीपुरम लखनऊ में राष्ट्रीय दृष्टिहीनता एवं दृष्टि दोष नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत 40 वां राष्ट्रीय नेतदान पखवाड़ा का आयोजन संपन्न हुआ। राष्ट्रीय दृष्टिहीनता एवं दृष्टि दोष नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी रानी लक्ष्मीबाई संयुक्त चिकित्सालय राजाजीपुरम लखनऊ में 40 वां राष्ट्रीय नेतदान पखवाड़े का आयोजन किया गया जिसमें नेत्र दान से संबंधित उसकी महल्ता और उपयोगिता के बारे में विस्तार से अवगत कराया गया।
विदित हो कि नेत्रदान पखवाड़ा प्रत्येक वर्ष अगस्त के अंतिम सप्ताह से लेकर सितंबर के प्रथम सप्ताह तक तक मनाया जाता है जिसमें जनमानस को मृत्यु के उपरांत नेत्रदान करने हेतु जागरुक एवं प्रोत्साहित किया जाता है।
भारत में नेत्रदान का महत्व बहुत अधिक है, क्योंकि यह कॉर्नियल अंधेपन से पीड़ित लाखों लोगों की दृष्टि वापस लाने में मदद करता है, जिससे उन्हें स्वतंत्र जीवन जीने का अवसर मिलता है। यह एक निस्वार्थ और जीवन-परिवर्तनकारी कार्य है जो दूसरों की सेवा करने का एक अनूठा तरीका है और मृत्यु के बाद भी एक स्थायी विरासत छोड़ता है।
रानी लक्ष्मीबाई सिंह चिकित्सालय के वरिष्ठ नेता परीक्षण अधिकारी जीएम सिंह जी द्वारा कार्यक्रम में बताया गया कि नेत्रदान भारत में कॉर्निया की भारी कमी को पूरा करने और अंधेपन को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
कॉर्निया के क्षतिग्रस्त होने के चलते भारतवर्ष में वर्तमान में लगभग 10 लाख लोग प्रभावित हैं जिसमें प्रत्येक वर्ष लगभग 100000 लोग और जुड़ जाते हैं । इस तरह से दिनों दिन नेत्र हीनों की संख्या बढ़ती जा रही है। लगभग 25000 लोगों का प्रतिवर्ष नेत्रदान करने के कारण इतने ही लोगों का नेत्र प्रत्यारोपण हो पता है जिससे यह सामाजिक समस्या बनती जा रही है । जिसके कारण भारतवर्ष में प्रत्येक वर्ष 75000 का बैंक लाक प्रतिवर्ष जुड़ता जा रहा है जो एक सामाजिक समस्या का रूप लेता जा रहा है।
पखवाड़ा कार्यक्रम में रानी लक्ष्मीबाई चिकित्सालय के वरिष्ठ नेत्र सर्जन डॉक्टर के.पी सिंह द्वारा मरीजों को बताया गया कि नेत्रदान में मुख्य रूप से आंख का अग्र भाग, जिसे कॉर्निया कहते हैं, दान किया जाता है। पूरी आंख दान नहीं की जाती, बल्कि मृत व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके कॉर्निया को निकालकर दृष्टिहीन व्यक्ति के प्रत्यारोपण के लिए उपयोग किया जाता है, जिससे उन्हें दृष्टि मिलती है।
नेत्रदान पखवाड़े कार्यक्रम का संचालन रानी लक्ष्मीबाई के वरिष्ठ नेत्र परीक्षण अधिकारी जी.एम. सिंह जी द्वारा किया गया साथ ही साथ गई. एम. सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय दृष्टिहीनता एवं दृष्टि दोष नियंत्रण कार्यक्रम की सफलता में डॉक्टर के पी सिंह का विशेष योगदान प्रत्येक वर्ष की भांति रहा है इस बार भी रहा है ।
इस वर्ष भी डॉ सिंह द्वारा 2080 ऑपरेशन करते हुए संयुक्त चिकित्सालय स्तर पर द्वितीय स्थान पर रहे और जनपद स्तर पर प्रथम स्थान हर वर्ष की भांति प्राप्त किया और तृतीय स्थान पर डॉक्टर आनंद कुमार जिन्होंने 1114 ऑपरेशन कर जनपद में तीसरा स्थान प्राप्त किया ।
उक्त नेत्रदान में रानी लक्ष्मीबाई चिकित्सालय की मुख्य चिकित्सा अधीक्षका डॉ नीलिमा सोनकर ने नेत्रदान के महत्व पर प्रकाश डालते हुए अपने उदगार व्यक्त किया ।
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